रुचि के स्थान
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देवीपाटन मंदिर (माँ पाटेश्वरी देवी) प्रसिद्ध पाटेश्वरी देवी मंदिर बलरामपुर से 28 किमी उत्तर और तुलसीपुर रेलवे स्टेशन से 1.6 किमी उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इसे भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव सती के आत्मदाह के बाद उनके शरीर को लेकर विचरण कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र का प्रयोग करके उनके शरीर को 51 भागों में विभाजित किया, जिनमें से उनका दाहिना कंधा (पट) इसी स्थान पर गिरा। तब से इस स्थान को शक्ति पीठ के रूप में पूजा जाता है और इसे पाटेश्वरी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर परिसर में सूर्य कुंड नामक एक पवित्र कुंड है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसका निर्माण महाभारत के नायक कर्ण ने अपने पिता, सूर्य देव की स्मृति में करवाया था। भक्त देवी की पूजा करने से पहले इस कुंड में स्नान करते हैं। कैसे पहुँचें: ❖ हवाई मार्ग से: भारत में कहीं से भी हवाई मार्ग से महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश पहुँचें। ❖ रेल द्वारा: लखनऊ से गोंडा होते हुए बलरामपुर तक ❖ सड़क द्वारा: लखनऊ से बलरामपुर तक दो रास्ते हैं: 1. बाराबंकी – बहराइच – बलरामपुर होते हुए 2. बाराबंकी – गोंडा – बलरामपुर होते हुए। ❖ यह मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर है। समय: सुबह 4:00 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक और शाम 6:30 बजे से रात 10:00 बजे तक |
| माँ बिजलेश्वरी देवी मंदिर (बिजलीपुर)
यह मंदिर बलरामपुर से लगभग 5 किलोमीटर दूर बलरामपुर-तुलसीपुर मार्ग पर स्थित है। भूरे पत्थरों से निर्मित यह कलात्मक मंदिर बिजलेश्वरी देवी को समर्पित है और इसका निर्माण महाराजा दिग्विजय सिंह ने 19वीं शताब्दी (1832) में तुलसीपुर पर विजय प्राप्त करने के बाद करवाया था। उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय देवी के आशीर्वाद को दिया था। एक अन्य कथा के अनुसार, यह मंदिर उस स्थान पर बनाया गया था जहाँ बाबा जयराम भारती नामक एक भक्त को देवी के दर्शन हुए थे और उन्होंने उन्हें वहाँ पूजा करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया। कैसे पहुँचें: ❖ हवाई मार्ग से: भारत में कहीं से भी हवाई मार्ग से उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुँचें। ❖ रेल द्वारा: लखनऊ से गोंडा होते हुए बलरामपुर तक ❖ सड़क द्वारा: लखनऊ से बलरामपुर जाने के दो रास्ते हैं: 1. बाराबंकी – बहराइच – बलरामपुर होते हुए 2. बाराबंकी – गोंडा – बलरामपुर होते हुए, इसके बाद मंदिर तक टैक्सी लें। ❖ समय: प्रतिदिन सुबह 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक ❖ यह मुख्यालय से लगभग 7.1 किलोमीटर दूर है। |
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झारखंडी मंदिर
झारखंडी रेलवे स्टेशन के पास स्थित इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति ब्रिटिश काल में रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान एक शिवलिंग की खोज से हुई थी। ‘झारखंडी’ नाम उस घने जंगल (झारखंड) से लिया गया है जो कभी इस क्षेत्र को घेरे हुए था। आज यह एक प्रमुख तीर्थ स्थल और पर्यटन स्थल है। कैसे पहुंचें: ❖ हवाई मार्ग से: भारत में कहीं से भी हवाई मार्ग से महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश पहुंचें। ❖ रेल मार्ग से: लखनऊ – गोंडा – बलरामपुर – झारखंडी मार्ग से। ❖ सड़क मार्ग से: लखनऊ से बलरामपुर जाने के दो रास्ते हैं: 1. बाराबंकी – बहराइच – बलरामपुर होते हुए। 2. बाराबंकी – गोंडा – बलरामपुर होते हुए। बलरामपुर बस स्टेशन से 100 मीटर की पैदल दूरी पर। ❖ यह मुख्यालय से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर है। ❖ समय: प्रतिदिन सुबह 6:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक |
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चित्तौड़गढ़ बांध बलरामपुर शहर से 68 किलोमीटर दूर स्थित चित्तौड़गढ़ बांध एक मनोरम स्थल है। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित पिपरी बंगार में बना चित्तौड़गढ़ जलाशय प्राकृतिक कला का एक अनूठा नमूना है। चित्तौड़गढ़ जलाशय नेपाल और भारत की पहाड़ी धाराओं का संगम है। भंभर, दारा, मूसी, घुघरोर और हमसोती नाका जैसी कई छोटी धाराओं का जल इस जलाशय में एकत्रित होता है। कैसे पहुंचें: ❖ हवाई मार्ग से: भारत में कहीं से भी हवाई मार्ग से महर्षि वाल्मीकि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश पहुंचें। ❖ रेल मार्ग से: लखनऊ से गोंडा होते हुए बलरामपुर जाएं। ❖ सड़क मार्ग से: लखनऊ से बलरामपुर जाने के दो रास्ते हैं: 1. बाराबंकी – बहराइच – बलरामपुर होते हुए। 2. बाराबंकी – गोंडा – बलरामपुर होते हुए, फिर बांध तक टैक्सी लें। ❖ यह मुख्यालय से लगभग 54 किलोमीटर दूर है। |
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सुहेलवा वन्यजीव अभ्यारण्य बलरामपुर और श्रावस्ती जिलों में भारत-नेपाल सीमा पर स्थित यह सुहेल देव वन्यजीव अभ्यारण्य 452 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और रॉयल बंगाल टाइगर का एक महत्वपूर्ण निवास स्थान है। इसकी स्थापना 1988 में हुई थी। इसके साथ ही 220 किलोमीटर का बफर जोन भी शामिल है। संपूर्ण वन्यजीव अभ्यारण्य और इसका बफर जोन पूर्व से पश्चिम तक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगभग 120 किलोमीटर लंबी और 6-8 किलोमीटर चौड़ी प्राकृतिक वन पट्टी के रूप में स्थित है। इस वन्यजीव अभ्यारण्य में तुलसीपुर, बरहावा, बंकटवा, पूर्वी सुहेलवा और पश्चिमी सुहेलवा क्षेत्र शामिल हैं, और बफर जोन में भाभर और रामपुर पर्वतमालाएं शामिल हैं। यहां पाए जाने वाले प्रमुख वनस्पतियों में साल, शीशम, खैर, सागौन, धूप आदि शामिल हैं, और वन्यजीवों में बाघ, तेंदुआ, सियार, लकड़बग्घा, सांभर, बंदर, लंगूर, अजगर, तीतर, बटेर, मोर, हॉर्नबिल, नीलगाय, कठफोड़वा आदि शामिल हैं। इसी क्षेत्र में बिहार, चित्तौड़गढ़, कोहरगड्डी, गिरिगिट्टी, खैरमन और राजियाताल आदि जलाशय भी स्थित हैं, जो विभिन्न प्रकार के पक्षियों और वन्यजीवों को आकर्षित करते हैं। कैसे पहुंचें: ❖ हवाई मार्ग से: भारत में कहीं से भी हवाई मार्ग से महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश पहुंचें। ❖ रेल मार्ग से: लखनऊ – गोंडा – बलरामपुर मार्ग से। ❖ सड़क मार्ग से: लखनऊ से बलरामपुर जाने के दो रास्ते हैं: 1. बाराबंकी – बहराइच – बलरामपुर होते हुए। 2. बाराबंकी – गोंडा – बलरामपुर होते हुए। इसके बाद सुहेलवा वन्यजीव अभ्यारण्य तक टैक्सी लें। ❖ समय: प्रतिदिन सुबह 7:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक। ❖ प्रवेश शुल्क भारतीय नागरिकों के लिए 30 रुपये और विदेशी नागरिकों के लिए 350 रुपये है। ❖ यह मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। |
| उत्तर प्रदेश का पहला जनजातीय संग्रहालय, थारू जनजाति संग्रहालय, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की प्रमुख परियोजनाओं में से एक था, बलरामपुर जिले के थारू बहुल क्षेत्र इमिलिया कोडार गांव में बनाया गया है। थारू भारत के तराई क्षेत्र में रहने वाला एक स्वदेशी जातीय समूह है। वे प्रकृति प्रेम के लिए जाने जाते हैं और थेरवाद बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। यह जनजाति अपनी विशिष्ट वेशभूषा और नृत्य के लिए प्रसिद्ध है। थारू जनजातीय क्षेत्रों का भ्रमण करें और थारू परिवारों के साथ रहें, दैनिक गतिविधियों में भाग लें और उनकी परंपराओं के बारे में जानें। थारू संस्कृति परंपरा, संगीत, नृत्य और कला से समृद्ध है, जो थारू लोगों को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करती है। दशैन और तिहार के अलावा, थारू लोग मढ़ी, जितिया और अन्य त्योहारों को धूमधाम से मनाते हैं। कैसे पहुंचें:❖ हवाई मार्ग से: भारत में कहीं से भी हवाई मार्ग से महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्या, उत्तर प्रदेश पहुंचने वाला पहला हवाई अड्डा।❖ ट्रेन द्वारा: लखनऊ से गोंडा होते हुए बलरामपुर तक❖ सड़क मार्ग द्वारा: लखनऊ से बलरामपुर जाने के दो रास्ते हैं: 1. बाराबंकी – बहराइच – बलरामपुर होते हुए 2. बाराबंकी – गोंडा – बलरामपुर होते हुए, इसके बाद थारू संग्रहालय तक टैक्सी लें। ❖ यह मुख्यालय से लगभग 63 किमी दूर है। |
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